Thursday, November 8, 2007

मेरा परिचय

वैसे अपने मुह मिया मिट्ठू बनना कोई बहादुरी का काम तो है नहीं फिर भी अपने विषय में कुछ लिखना आवश्यक है यहाँ, अन्यथा मुझे ही विद्वान् लोग "अन्यथा" ले लेंगे.अरे भाई तारीफ़ किसे नहीं पसंद?वैसे मुझे बच्चन साहब की ये पंक्तियाँ बहुत भली भांति व्यक्त कर देती हैं:

"मुझको न ले सके धन कुबेर, दिखला कर अपना ठाट- बाट,
मुझको न ले सके नृपति, मोल दे माल,खजाना राज-पाट,
अमरो ने अमृत दिखलाया, दिखलाया अपना अमर लोक,
ठुकराया मैंने दोनों को, रखकर अपना उन्नत ललाट.

बिक मगर गया में मोल बिना,जब आया मानव सरस ह्रदय,
मिटटी का तन मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय".

2 comments:

Sanjeet Tripathi said...

स्वागत है आपका हिंदी ब्लॉग जगत में!!


यदि आपने अपना ब्लॉग विभिन्न एग्रीगेटर्स में पंजीकृत नही करवाया हो तो करवा लें!!
शुभकामनाएं!!

Anonymous said...

kavi SHRI ATMAPRAKASH SHUKLA ne kaha tha-

waqt ke paav anaayaas thehar jaayenge,
gaur se dekhoge to kuch aur nazar aayenge,
doobkar humko sunoge to hum rafta-rafta,
kaan se hokar kaleje me utar jaayenge..........

main abhishek ji ki rachnaao ka purana prshansak hoon.mujhe lagta hai ki shukla ji ki ye panktiyaan shri abhishek tripathi ke liye bhi sateek baithati hain. isliye blog jakat ke waashindon inhe zara dhyan se suno................